Thursday, January 29, 2009

मोजजा !!!

ये उमंगो में डूबे पाखी असल में उड़ते नहीं है...
बस पारदर्शी अब्र के समंदर में तैरते रहते हैं...

ये शब् में उजाला समेटे हुई चांदनी रात नहीं है...
ये जुगनुओ का कमाल है वही चमकते रहते हैं...

ये गुलज़ार में महकते फूलो की खुश्बू नहीं हैं...
एक कली महकी है जहाँ से भंवरे गुज़रते रहते हैं...

जिससे उजियाला है यहाँ वो दिए का नूर नही है...
बयाँ-ऐ-इश्क है ये पतंगे यहाँ पे बिखरते रहते हैं...

...भावार्थ

No comments: