Wednesday, January 28, 2009

घडी की सुइयां !!!

जूनून की हद तक जिंदगी जीने वाले...
आज तनहा है अपने ही खयालो में...
तस्सवुर बीते कल के तैरते रहते हैं ...
उलझे पड़े हैं जवाब ख़ुद के सवालों में...

ऐ काश घडी की सुइयां उलटी चल पड़े...
बीता कल आने वाला कल बन के आ जाए...
लौट आयें दोस्तों को कहे अलविदा सभी...
जो बिखर चुका हैं काश संवर के आ जाए...

उम्र मौसम को मेरी लग जाए खुदा...
मोहब्बत ही मोहब्बत रहे हर तरफ़ युही...
साखो पे जहाँ युही सजा सजा सा रहे...
घरोंदो सा सजर पाये हर मुन्तजिर युही...

सरहदों से लौट आयें सारे शहीद घरो को...
कलेजे के टुकड़े और मांग के सिन्दूर जो हैं...
दद्दू का कन्धा माँ की गोद और वो आँगन...
लौट आयें बचपन सब जन्नत के निशाँ जो हैं...

मैं हर एक दर्द भरे लम्हे में खुशी भर दूँगा...
अश्क जो भी बह निकले सीप मैं लौट जायेंगे...
कमी हमदम को जो महसूस हुई पूरी करनी है...
खाब जो अधूरे रह गए मेरे अब तामीर पायेंगे...

काश घडी की सुइयां उलटी चल पड़े...!!!

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