Thursday, January 22, 2009

ख्वाईश !!!

वो भी सरहाने लगे अरबाब-ऐ-फन के बाद...
मुझे दाद-ऐ-सुखन मिली तर्क-ऐ-सुखन के बाद...

दीवाना वार चाँद से आगे निकला गए...
तेहरा नहीं दिल कहीं तेरे अंजुमन के बाद...


इंसान के खायिशो की कोई इन्तेआह नहीं...
दो गज जमीं भी चाहिए दो गज कफ़न के बाद...


होठो से सी के देखिये पछ्तायीयेगा आप...
फितने भी जाग उठते हैं अक्सर घुटन के बाद...


कैफी आज़मी...

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