Tuesday, January 6, 2009

अमावस की रात !!!

शाम को कुचल कर आई है जो...
चरागों को फ़िर डरने आई है जो...
जिंदगी चूर हो कर इसमें गिर गई ...
भागती भीड़ थी जाने किधर गयी...
आसमान जो उड़ रहा था कबसे थम गया ...
काला सा साया समंदर पे जम गया...
जगी पलकें झुक गई पथरा के...
उठे अरमान सो गए घबरा के...
काली सी फिजा चहुँओर छा गई...
अमावस की रात आज फ़िर आ गई...

भावार्थ...

No comments: