Sunday, November 30, 2008

मैं ने जो गीत तेरे प्यार की खातिर लिखे... !!!

मैं ने जो गीत तेरे प्यार की खातिर लिखे...
आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ...

आज
दूकान पे नीलाम उठेगा उनका...
तू ने जिन गीतों पे रखी थी मुहब्बत कि असास...
आज चांदी के तराजू में तुलेगी हर चीज़...
मेरे अफकार, मेरी शायरी मेरा अहसास...

जो
तेरी जात से मंसूब थे उन गीतों को...
मुफलिसी जींस बना ने पे उतर आयी है...
भूक तेरे रुख-ऐ-रंगीन के फसानों के...
‘एवाज्चंद अश’ये-ऐ-ज़रूरत की तमन्नाई है...

देख
इस ‘अर्सागाह-ऐ-महनत-ओ-सरमाया में...
मेरे नग्मे भी मिरे पास नहीं रह सकते...
तेरे जलवे किसी ज़रदार कि मीरास सही...
तेरे खाके भी मेरे पास नहीं रह सकते...

आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया होऊं ...
मैं ने जो गीत तेरे प्यार कि खातिर लिक्खे...

साहिर लुधियानवी...

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