Thursday, November 20, 2008

करार आए !!!

तड़पते जेहेन को मेरे जेहनात मिले तो करार आए...
मुझे पपीहे को बूंदों का तस्वीर मिले तो करार आए...

सुकून-ऐ-हयात ढूढ़ते हैं हर एक पल में बिखरने वाले...
सुकूत-ऐ-शब् ढूढ़ते हैं इन उजालों के नशे में डूबने वाले...
हुस्न-ऐ-याज़दान ढूढ़ते हैं ये हुस्न-ऐ-बुता पूजने वाले...
आवारा तलाश को मेरी राह मिले तो करार आए...
मुझ पपीहे को बूंदों का पयाम मिले तो करार आए...

यादें कुछ एक धुंधली तस्वीर के सिवा कुछ भी नहीं ...
रिश्ते कुछ आहन जंजीरों के सिवा कुछ भी नहीं...
किस्मत कुछ खिची लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं...
हकीकत कुछ यु बन सवर के मिले तो करार आए...
मुझ पपीहे को बूंदों का पयाम मिले तो करार आए...

उमड़ती पतंग की परवाज़ बस आसमान भर उड़ने तक है ...
चढ़ती मय की दरकार बस छुपे अरमान उगलने तक है ...
बढती जफा की बद-हालत बस लहू राहो पे बिखरने तक है...
काबू मुझे ख़ुद के जज्बात पर मिले तो करार आए..
मुझ पपीहे को बूंदों का पयाम मिले तो करार आए...

मेरे मुल्क के अमीर हैं जो गम-ऐ-तन्हाई लिए फिरते हैं...
मेरे मुल्क के रंगीन हैं जो खौफ-ऐ-रुसवाई लिए फिरते हैं...
मेरे मुल्क के रहनुमा हैं जो फ़िक्र-ऐ-बादशाही लिए फिरते हैं...
इस मुल्क को मेरे उसकी सर-बुलंदी मिले तो करार आए...
मुझ पपीहे को बूंदों का पयाम मिले तो करार आए...

भावार्थ...

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