Saturday, November 15, 2008

किसका रास्ता देखे ए दिल ए सौदाई...
मीलों है खामोशी बरसों है तनहाई...
भूली दुनिया कभिकी तुझे भी मुझे भी...
फिर क्यों आँख भर आयी...
कोई भी साया नहीं राहों मैं...
कोई भी आएगा न बाहों मैं...
तेरे लिए मेरे लिए कोई नहीं रोनेवाला...
झूठा भी नाता नहीं चाहूं मैं...
तू ही क्यों डूबा रहे आहों मैं...
कोई किसी संग मरे ऐसा नहीं होनेवाला...
कोई नहीं जो यूँ ही जहाँ मैं बातें पीर परायी...
किसका रास्ता देखे ए दिल ए सौदाई...
तुझे क्या बीती हुई रातों से...
मुझे क्या खोई हुई बातों से...
सेज नहीं चिता सही जो भी मिले सोना होगा...
गई जो डोरी छूती हाथों से...
लेना क्या टूटे हुए सातों से...
खुशी जहाँ मांगी तूने वहीँ मुझे रोना होगा...
न कोई तेरा न कोई मेरा फिर किसकी याद आई...
किसका रास्ता देखे ए दिल ए सौदाई...

साहिर लुधियानवी...

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