Wednesday, October 1, 2008

बिलखते रिश्ते !!!

रिश्ते बिलख रहे हैं और लोग दर्द पी रहे हैं।
वोह फ़िर भी कहते है कि हम साथ जी रहे हैं।

न तो रास्ते हैं पाक और न ही कारवा पाक है।
हमसफर भी अब नापाक सीरत को जी रहे हैं।

सात जन्मो के वादे सब अफ़साने से लगते हैं।
चाँद लम्हे भी वो दोनों अजनबी से जी रहे हैं।

कत्ल है जमीर और हैवानियत सवार है अब।
दो रूह कबकी मर चुकी बस दो शरीर जी रहे हैं।

कितने गम और न जाने कितनी कसक दफ़न है ।
फ़ुट पड़ते है जो चाक बस उन ही को सी रहे हैं।

रिश्ते बिलख रहे हैं और लोग दर्द पी रहे हैं।
वोह फ़िर भी कहते है कि हम साथ जी रहे हैं।

भावार्थ...

2 comments:

Kuldeep said...

hello how are you

Ajay Kumar Singh said...

I am fine...U tell ? hoz life...