Monday, September 29, 2008

बोल हलके बोल हलके !!!...गुलज़ार

धागे तोड़ लाओ चांदनी से नूर के।।
घूंघट बना लो रौशनी से नूर के।
शर्मा गई तो आगोश में लो।
साँसों से उलझी रहीं मेरी साँसे।
बोल हलके बोल हलके।
होठ से मेरे हलके, बोल हलके।

आ नींद का सौदा करें।
एक खाब ले और एक खाब दे।
एक खाब तो आँखों में है।
एक चाँद के तकिये तले।
कितने दिनों से यह असमान सोया नही है।
चलो इसको सुला दे।
बोल हलके बोल हलके।
होठ से हलके बोल हलके।

उम्रें लगी
कहते हुए।
दो लफ्ज़ थे एक बात थी।
वो एक दिन सौ साल का।
सौ साल की वो एक रात थी।
कैसा लगे चुपके दोनों।
पल में सदियाँ बिता दे।
बोल हलकर बोल हलके।
होठ से हलके बोल हलके।

धागे तोड़ लाओ चांदनी से नूर के।।
घूंघट बना लो रौशनी से नूर के।
शर्मा गई तो आगोश में लो।
साँसों से उलझी रहीं मेरी साँसे।
बोल हलके बोल हलके।
होठ से मेरे हलके, बोल हलके।

गुलज़ार

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