Thursday, August 14, 2008

आज़ादी !!!


जेहेन की आज़ादी चाहिए बस इंसान की नहीं।।
गुलामी के बदला चेहरा आज़ादी नहीं होती।
परचम बदल देने से ताकत पैदा नही होती।
जमूरियत का होना ही तो आज़ादी नहीं होती।
अरमान की आज़ादी चाहिए उनमान की नहीं।
जेहेन की आज़ादी चाहिए बस इंसान की नहीं।।

सर का धड से काटना आज़ादी नही होती।
अपनों का रेत सा बिखरना आज़ादी नहीं होती।
भीड़ का जश्न मानना कोई आज़ादी नहीं होती।
परवाज़ की आज़ादी चाहिए आसमान की नहीं।
जेहेन की आज़ादी चाहिए बस इंसान की नहीं।।

खुशी का मुट्ठी भर में सिमटना आज़ादी नहीं होती।
कमजोर को कोई मौका दे देना आजादी नहीं होती।
खाने लायक उगा लेना भी कोई आज़ादी नहीं होती।
पत्थर सी आज़ादी चाहिए उड़ने वाली धूल सी नहीं।
जेहेन की आज़ादी चाहिए बस इंसान की नहीं।।

आवाम को दबाकर राज करना आज़ादी नहीं होती।
इंतेशार में लाखो का जिन्दा जलना आज़ादी नहीं होती।
सिर्फ़ शहीदों की शहादत पे रोना आज़ादी नहीं होती।
जमूरियत की आज़ादी चाहिए हुक्मुरान की नहीं।
जेहेन की आज़ादी चाहिए बस इंसान की नहीं।।

भावार्थ...

Urdu Words:
जेहेन:Intellect, Mind
जमूरियत: Democracy
उनमान: Title
परवाज़ : Flight
इंतेशार: Fight

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