Thursday, July 31, 2008

मेरे नन्हे से प्यारे ख्वाब !!!



मेरे नन्हे से प्यारे ख्वाब।
क्या तुम मेरे जैसे हो ?
मेरे प्यार के ऐ निशाँ।
क्या तुम मेरे जैसे हो ?

मेरी साँसे तुम्हारी साँसे।
बन के ये कैसे रहती है ?
मेरी आहें तुम्हारी आहें।
बन के ये कैसे बहती हैं ?


तुम अजनबी से वजूद।
कैसे मेरे वजूद में समाये हो ?
तुम नन्हे से रिश्ते।
कैसे मेरी जिंदगी में आए हो ?

मेरे भीतर का ये खून।
तेरी रगों में कैसे बहता है ?
मेरे प्यार का असर।
तेरी जिगर में कैसे रहता है ?

तुम बिनदेखी हकीक़त।
क्या कोई खुदा हो ?
तुम मांगी हुई मन्नत ?
क्या कोई फ़रिश्ता हो ?

मेरे नन्हे से प्यारे ख्वाब...

भावार्थ...


2 comments:

Renu Sharma said...

tumhara khvyaab mujhe apanaa sa laga .
behad sundar likha hai .
shabdon ka stemaal bahut khoob hai .

Ajay Kumar Singh said...

Thanks !!! a lot