Thursday, July 31, 2008

ये रात ....

रात जब जवान हुई तो ।
उसने तारो को धीमे से बुलाया।
चाँद को बीच में रख सबके।
उसने अपना शामियाना बिछाया।
ये रात जो कई मायिने लिए जीती है।
किसी की हसरत होती है रात।
किसी का सजर होती है रात।
जिंदगी का आराम होती है रात।
ये रात जो श्याम रंग पहने है।
ये रात जिसके ये तारे गहने हैं।
किसी दुल्हन की तरह गठरी बनी बैठी है।

कोई आए और इसके आगोश में।
अपने सारे गम भूल जाए.
खुश्क
रिश्तो का मलहम होती है रात।
सुबह का आगाज़ होती है रात।
दिन का अंजाम होती है रात।

भावर्थ...

No comments: