Thursday, July 17, 2008

कहीं खो सी गई !!!


यादों के समुंदर में।
बीते लम्हों की बूंदे ।
कहीं खो सी गई, कहीं खो सी गई।

वादों के पुलिंदे में।
मेरी वो दिल की कही।
कहीं खो सी गई, कहीं खो सी गई।

नजारो की नज़र में।
वोह प्यार की नज़र।
कहीं खो सी गई, कहीं खो सी गई।

बेवफाई की मौसम में।
वफाओ की अगन।
कहीं खो सी गई, कहीं खो सी गई।

बेगानों के काफिले में।
मेरे प्यार की शख्शियत
कहीं खो सी गई, कहीं खो सी गई।

उसके निशाँ ढूढने में।
उसकी दी हर निशानी।
कहीं खो सी गई, कहीं खो सी गई।

भावार्थ..

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

सुन्दर रचना है।

यादों के समुंदर में।
बीते लम्हों की बूंदे ।
कहीं खो सी गई, कहीं खो सी गई।

Ajay Kumar Singh said...

Thanks Paramjeet ji....