Saturday, July 12, 2008

एक एहसास की प्यास मुझे यहाँ ले आई !!!


एक एहसास की प्यास मुझे यहाँ ले आई।
तुझसे मिलने की आस मुझे यहाँ ले आई।

में
कब सारे रिश्ते छोड़ आया।
कब सारे बंधन वो तोड़ आया।

मेरी
शख्शियत एक धागे से खिची आई।
एक एहसास की प्यास मुझे यहाँ ले आई।

कब साँस छूटी मुझे क्या पता।
कब उम्मीद टूटी मुझे क्या पता।

ये तेरी नज़र सारे मंजर सामने ले आई।
एक एहसास की प्यास मुझे यहाँ ले आई।

न गर्मी न सर्दी न कोई एहसास।
गले में आकर रुकने लगी थी प्यास।

जिंदगी को झूल कर बस तेरी याद आई।
एक एहसास की प्यास मुझे यहाँ ले आई।

भावार्थ...

2 comments:

Anonymous said...

bhut bhavuk rachana. jari rhe.

Ajay Kumar Singh said...

Thanks Rashmi jee...