Friday, July 4, 2008

फ़िर भी जिंदगी दिशा ढूढती है !!!

हर तरफ़ एक दिशा है।
फ़िर भी जिंदगी दिशा ढूढती है।

यु तो मुस्कराहट तैरती है।
फ़िर भी नज़र मेरी खुशी ढूढती है।

मंजिल करीब सी लगती है।
फ़िर भी नौका मेरी किनारे ढूढती है।

दर्द भर देती है जिसकी यादें।
फ़िर भी रातें उसी के निशाँ ढूढती है।

भावार्थ
...

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