Sunday, May 11, 2008

अँधेरा ..... अजर है.... अँधेरा......अमर है।

काली रात शांत होती है लेकिन लोग फ़िर भी डरते हैं।
शयद इसलिए की अंधेरे का आकार नहीं होता।
या अँधेरा अस्तित्वा को निगलने का हुनर रखता है।
जो भी है अँधेरा प्रकाश से कहीं ज्यादा बलवान है।
















लोग
अंधेरे को असुर और प्रकाश को सुर मानते हैं।
बल्कि अँधेरा पापो को छुपा लोगो का पुण्य करता है।
प्रकाश अंधेरे को ढक सकता है मिटा नहीं सकता।
इसीलिए वह अंधेरे को छोटा साबित करने में लगा है।
हर सुबह वो अपने बुजुर्ग सूरज को ले कर आता है।
पूरे दिन अंधेरे को मिटाने में लगाता है।
पर जैसे ही शाम को सूरज थक जाता है।
अमिट अँधेरा अपना साम्राज्य बिठाता है।
हालांकि कुछ नन्हें तारे कुछ कुछ कोशिश करते हैं।
उनके साथ तो अँधेरा सिर्फ़ आँख मिचोली खेलता है।
अँधेरा बड़ा है पर उसमें घमंड नहीं है।
वो शक्तिमान है पर दिख्याई नहीं देता।
अँधेरा ..... अजर है.... अँधेरा......अमर है।

1 comment:

Renu Sharma said...

andheraa hi prkaash bhi hai ,roshni andhere se hi nikalti hai mere bachche !!!!