Monday, April 14, 2008

लोरी सुने हुए आज कितने साल हो गए !!!

लोरी सुने हुए आज कितने साल हो गए।
माँ याद आई तो अश्क मेरे सैलाब हो गए।

गिनता रहा उन तारो को उस शब-ऐ-रोज।
माँ की याद में सब के सब हिलाल हो गए।

हर बात उसकी मेरे चेहरे पे खुशी भर देती थी।
सिर्फ़ रो सकता हूँ ये न जाने कैसे मेरे हाल हो गए।

काश वो माँ का आँचल मिल जाए कुछ रोज।
जिंदगी की धुप में हम तो बदहाल हो गए।

कभी पगली, कभी मासूम सी थी मेरी माँ।
असली चेहरा देखे किसीका कितने साल हो गए।

उसका साया जैसे ख्वाबो की कायनात थी मेरी।
वरना कुछ सपने सजोने में हम निहाल हो गए।

भावार्थ...

1 comment:

Anonymous said...

a nice poem; a very senti one