Sunday, March 30, 2008

आज मैं जब अपने खुदा को ढूढने निकला !!!

आज मैं जब अपने खुदा को ढूढने निकला।
हर मन्दिर मगर शहर का खाली निकला।

फ़िर जब किसी ने कहा मस्जिद जाओ।
वहाँ हर सीढ़ी पे बैठा शख्स हिंदू निकला।

कुछ लोग रास्ते में किसी पथर को घेर बैठे थे।
पूछा किसीसे तो वो उनका मसीहा निकला।

किसी ने उन पहाडो का रास्ता बता दिया मुझे।
लाल चोगे में हर नमाजी मगर बुद्धा निकला।

शाम की नमाज़ पढने को हाथ उठाये ही थे।
नूर खुदा का ख़ुद मेरी रूह से बाहर निकला।

भावार्थ...




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