Friday, January 2, 2009

अब शिद्दते गम !!!

अब शिद्दते गम मस्लूही आराम सहारा देता है ...
या दोस्त तस्सली देते हैं या जाम सहारा देता है...

ऐ-दोस्त मोहब्बत के सदमे तनहा ही उठाने पड़ते हैं...
रहबर तो फकत इस रस्ते में दो गाँव सहारा देता है...

दो
नाम हैं सिर्फ़ इस दुनिया में एक साकी का एक यजदान ...
एक नाम परेशान करता है एक नाम सहारा देता है...

तूफ़ान के तेवर तो देखो साहिल की कोई उम्मीद नहीं...
मल्लाह की सूरत तो देखो नाकाम सहारा देता है...

पाकिस्तानी
शायर
(Singer: मुन्नी बेगम )

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